पढ़ने लिखने की भाषा मातृभाषा ही क्यों हो? जानिए विस्तार से


पढ़ने लिखने की भाषा मातृभाषा होनी चाहिए क्योंकि इससे बच्चों को भाषा सीखने और समझने में आसानी होती है। मातृभाषा वह भाषा है जो हम जन्म से बोलते हैं और जिससे हम अपने आसपास की दुनिया को समझते हैं। इसलिए, यह हमारे लिए सबसे स्वाभाविक भाषा है और इसे सीखने और समझने में हमें सबसे कम प्रयास करना पड़ता है।


पढ़ने लिखने की भाषा मातृभाषा होनी चाहिए क्योंकि यह निम्नलिखित कारणों से लाभकारी है:


मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखना आसान होता है। हम मातृभाषा में बोलना, सुनना, समझना सीखते हैं। इसलिए, जब हम पढ़ना लिखना सीखते हैं, तो हम पहले से ही उस भाषा के साथ परिचित होते हैं। इससे हमें सीखने में आसानी होती है।

मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों का मानसिक विकास होता है। मातृभाषा में पढ़ने लिखने से बच्चों को अपनी भाषा और संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी मिलती है। इससे उनकी सोचने, समझने और सीखने की क्षमता विकसित होती है।

मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों को अन्य भाषाओं को सीखने में मदद मिलती है। जब बच्चे अपनी मातृभाषा में अच्छी तरह से पढ़ना लिखना सीख जाते हैं, तो उन्हें अन्य भाषाओं को सीखने में आसानी होती है।


विश्वभर में कई देशों में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है। भारत में भी त्रिभाषा सूत्र के तहत बच्चों को मातृभाषा, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में शिक्षा दी जाती है।


मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने के कुछ विशिष्ट लाभ निम्नलिखित हैं:

भाषा विकास में सुधार: मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों की भाषा संरचना, शब्दावली और व्याकरण में सुधार होता है।

सृजनात्मकता का विकास: मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों की सृजनात्मकता का विकास होता है। वे अपनी भावनाओं और विचारों को अपनी मातृभाषा में आसानी से व्यक्त कर सकते हैं।

चिंतन कौशल का विकास: मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों की चिंतन कौशल का विकास होता है। वे अपनी मातृभाषा में पढ़ी और लिखी गई सामग्री को समझने और उस पर विचार करने में सक्षम होते हैं।

आत्मविश्वास में वृद्धि: मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है। वे अपनी मातृभाषा में अपनी बात को प्रभावी ढंग से कह सकते हैं।


इस प्रकार, पढ़ने लिखने की भाषा मातृभाषा होना एक महत्वपूर्ण है। इससे बच्चों का समग्र विकास होता है।


कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि दूसरी भाषा में पढ़ना लिखना सीखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह तर्क केवल तभी लागू होता है जब दूसरी भाषा को मातृभाषा के बाद सीखा जाए। अगर बच्चों को पहली बार दूसरी भाषा में पढ़ना लिखना सिखाया जाता है, तो इससे उन्हें सीखने में कठिनाई हो सकती है और उनके भाषा कौशल का विकास बाधित हो सकता है।


भारत जैसे बहुभाषी देश में, मातृभाषा में पढ़ना लिखना सीखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इससे बच्चों को अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़ने में मदद मिलती है, और वे अपने देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ बेहतर तरीके से संवाद करने में सक्षम होते हैं।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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