स्कूलों की सफलता के लिए समृद्ध समाज की आवश्यकता


एक अच्छे और बेहतर समाज की निशानी होती है कि वहां के लोगों के जीवन में संगीत, कला, नाटक, खेल, साहित्य और किताबें हों। लोग विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा करते हों। आपस में मिलते-जुलते हों। ऐसे समाज में लोग अपने आप को स्वतंत्र और सशक्त महसूस करते हैं। वे अपने आसपास के माहौल में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित होते हैं।


कुछ स्कूल भी ऐसे होते हैं जो बच्चों को सीखने के लिए स्वतंत्रता और स्वायत्तता प्रदान करते हैं। वे बच्चों को अपने तरीके से सीखने और विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे  स्कूलों की सफलता के लिए एक समृद्ध समाज का होना आवश्यक है।


एक समृद्ध समाज में लोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल होते हैं। वे संगीत, कला, नाटक, खेल, साहित्य और किताबों के प्रति उत्साही होते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा करते हैं। आपस में मिलते-जुलते हैं। ऐसे समाज में लोग खुले विचारों वाले होते हैं। वे नए विचारों और अनुभवों के लिए खुले होते हैं।


ऐसे स्कूलों में बच्चों को इन सभी गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता है। वे संगीत, कला, नाटक, खेल, साहित्य और किताबों के माध्यम से सीखते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा करते हैं। आपस में मिलते-जुलते हैं। इससे वे एक समृद्ध और बहुमुखी व्यक्तित्व विकसित करते हैं।


एक समृद्ध समाज में खुले स्कूलों की सफलता के निम्नलिखित कारण हैं:


सृजनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा मिलता है: एक समृद्ध समाज में लोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल होते हैं। इससे उनके भीतर सृजनात्मकता और नवाचार का विकास होता है। खुले स्कूल भी बच्चों को सृजनात्मकता और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इससे बच्चे नए तरीके से सीखते हैं और समस्याओं का समाधान करते हैं।


सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है: एक समृद्ध समाज में लोग विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा करते हैं। आपस में मिलते-जुलते हैं। इससे उनके भीतर सकारात्मक सोच का विकास होता है। खुले स्कूल भी बच्चों को सकारात्मक सोच के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इससे बच्चे जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं।


समझदार और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण होता है: एक समृद्ध समाज में लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सद्भावना रखते हैं। वे अपने आसपास के माहौल में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करते हैं। खुले स्कूल भी बच्चों को समझदार और जिम्मेदार नागरिकों के रूप में विकसित करने का प्रयास करते हैं। इससे बच्चे अपने आसपास के समाज को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं।



जाहिर है कि स्कूल से समाज बदलता है, लेकिन बदलता और समृद्ध समाज भी स्कूलों की राह आसान करता है। कला, संगीत, नाटक, खेल, साहित्य और किताबों से समृद्ध समाज में खुले स्कूल अधिक सफल होते हैं, क्योंकि ऐसे समाज में छात्रों में रचनात्मकता, स्वतंत्र विचारधारा, सामाजिक कौशल और आत्मविश्वास का विकास होता है। इन गुणों से छात्रों को अपने जीवन में सफल होने में मदद मिलती है।

एक अच्छे और बेहतर समाज के निर्माण के लिए कला, संगीत, नाटक, खेल, साहित्य और किताबों का महत्वपूर्ण योगदान है। ये विषय छात्रों में सकारात्मक गुणों का विकास करते हैं, जो उन्हें अपने जीवन में सफल होने में मदद करते हैं। खुले स्कूल इन विषयों पर विशेष ध्यान देते हैं, जिससे वे छात्रों को एक बेहतर भविष्य बनाने में मदद करते हैं।



✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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