मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण


53- आज की कहानी का शीर्षक- ‘पढ़ना है अधिकार सभी का’

पूरे जिले में ‘श्रीमती इंदिरा गाँधी, पर निबन्ध लिखने की प्रतियोगिता होने वाली है।  मीना निबंध लिखने शबीना के घर जा रही है।

(शबीना के घर पर)
शबीना,मीना को अपना निबंध दिखाती है। 
“भारत देश में अनेक होनहार............................................................................................बहादुर बेटी को कभी भुला नहीं पायेगी।”
मीना निबंध की तारीफ़ करती है,लेकिन शबीना को दुःख है कि वो प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पायेगी क्योंकि उसके पिताजी ने स्कूल जाने से मना कर दिया है। उनका मानना है की लड़कियों को पढ़ने- लिखने की कोई जरूरत नहीं.............घर पर रह कर माँ का हाथ बटाओ।  शबीना की माँ ने उसके पिताजी को समझाने की कोशिश की लेकिन वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं।

(तभी शबीना का भाई कमल आ जाता है)
कमल- शबीना-शबीना, मेरा स्कूल का काम कर दिया। 
शबीना- हाँ, कर दिया। 
कमल – ठीक है, मैं खेलने जा रहा हूँ।
मीना यह सब सुनकर चकित रह जाती है कि शबीना अपने भाई के स्कूल का काम भी करती है, उसकी नज़र में ये गलत है।  शबीना, मीना को घर भेज देती है।
(मीना,मिठ्ठू घर की तरफ चल देते हैं)
मीना सोचती है कि शबीना के पिताजी को यह बात कैसे समझाए कि शबीना जैसी होनहार लड़की को स्कूल ना भेजकर उसके पिताजी गलती कर रहे है। 

निबंध जमा करने का दिन आ गया ....लेकिन यह क्या मीना,राजू और मिठ्ठू स्कूल के बजाये शबीना के घर की तरफ क्यों जा रहे हैं?


(शबीना के घर पर)
मीना, शबीना को स्कूल चलने को कहती है, और उसका निबंध स्कूल ले जाने को मांगती है, लेकिन शबीना का निबंध, जो उसने अलमारी में रखा था मिल नहीं रहा है।  मीना को स्कूल के लिए देरी होने के कारण निकल जाती है।  और स्कूल में....... मीना देखती है कि बहिन जी कमल के निबंध की तारीफ कर रही हैं।  आज स्कूल की छुट्टी हो जाती है......कल सबसे अच्छा निबंध चुना जायेगा।  मीना को कुछ गड़बड लगता है तो इसका पता लगाने की ठान लेती है।
(उधर कमल के घर)
कमल के पिताजी को मंडी जाना है। 
कमल के पिताजी- (कमल से) अनाज का वजन कर दे और 25  रूपए के हिसाब से पैसे जोड़ दे। 
इस पर कमल को शबीना की याद आती है लेकिन शबीना तो माँ के साथ अपनी बुआ के यहाँ पर गयी है जो शाम तक ही लौटेगी।
अगली सुबह मीना के स्कूल में ........सबसे अच्छा निबंध कमल का चुना जाता है।  लेकिन मीना देखती है कि जो निबंध बहिन जी ने पकड़ रखा है वो तो शबीना का लिखा हुआ है।  मीना सारा माज़रा समझ जाती है। 

(कमल के घर पर)
कमल के पिताजी कमल को डांट रहे हैं क्योंकि उसने न तो अनाज को ठीक से तोला न ही ठीक हिसाब से पैसे जोड़े। तभी बहिन जी वहां आ जाती हैं जोकि कमल के लिए बधाई देने आई हैं।  लेकिन कमल के पिताजी बहिन जी के सामने प्रश्न रखते हैं कि कमल स्कूल में तो इतना बढ़िया काम करता है लेकिन घर आकर सब हिसाब-किताब, जमा,घाटा भूल जाता है।  बहिन जी कमल से इसका जबाब मांगती हैं सारी सच्चाई सामने आ जाती है। मीना ने बहिन जी को सब बता दिया था।
बहिन जी कमल के पिताजी को समझाती हैं कि लड़के हो या लड़कियां पढ़ने-लिखने में कोई कम नहीं होता पढ़-लिख कर न सिर्फ जिंदगी में कुछ बन पायेंगे बल्कि घर चलने व बातचीत में भी निपुण होंगे।  कमल के पिताजी को भूल का अहसास होता है,पढ़ लिख कर ही जीवन सफल हो सकता है|, और सबीना को भी रोज स्कूल भेजेंगे। 

आज का गीत-
न बस तेरा न बस मेरा, स्कूल है मेरे यार सभी का। 
हर लड़के का हर लड़की का पढ़ना है अधिकार सभी का। 
क्या है ऐसा काम बोलो लड़की न कर पाए,
डॉक्टर कभी टीचर ...बनके देश चलाये। 
चाहे लड़का हो या लड़की दोनों स्कूल जाएँ। 
स्कूल में जाकर दिल लगता है हर दिन और हर बार सभी का। 
आज की लड़की बनके सिपाही रहती है सरहद पर। 
देश की खातिर जां वो अपनी लेती हथेलियों पर। 
न वो लड़कों से कम दोनों एक बराबर। 
न तुम्हारा न हमारा एक है सोच, विचार सभी का।

आज का खेल - “जादू का बक्शा”
पहचान-
१)दिखने में ये गोल नहीं
पर इसमें धरती गोल।
२)गाने गाये खबर दिखाए
इसका बटन तो खोल।
३) हम हैं सभी दीवाने इसके
क्या है सोच के बोल। 

- टीवी



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी 'प्राइमरी का मास्टर' एडमिन टीम के मीना की दुनिया के प्रभारी श्री अजनेश कश्यप द्वारा संचालित पेज  मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं। 



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