मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
57 - आज की कहानी का शीर्षक- ‘बेटा-बेटी एक समान’
आज मीना और राजू बहुत खुश हैं क्योंकि उनकी बड़ी दादी ‘जमुना’ (जो पास के गाँव में रहतीं हैं) आ रही हैं। जमुना दादी मीना की दादी की सहेली हैं। वह राजू के लिए नई कमीज और एक कम्बल भी लायी हैं।
राजू- (जमुना दादी से) बड़ी दादी, आप मीना के लिए क्यों कुछ नहीं......
जमुना दादी- मीना को कपड़ों की क्या जरूरत है?
रानी को भूख लगी है तो राजू की माँ उसमे व्यस्त हो जातीं हैं। बच्चों के खाना मांगने पर बड़ी दादी दो थाली लगाती हैं जिसमे से एक में सब्जी,रोटी,चावल दाल व दही तथा दूसरी थाली में थोड़ी सी दाल और दो रोटियां रखतीं हैं। बड़ी दादी पहली थाली राजू को तथा दूसरी थाली मीना को देतीं हैं।
दादी- जमुना बहन, मीना की थाली में भी सब्जी,चावल व दही डालो। मीना हमारी बढ़ती हुयी बच्ची है।
बड़ी दादी बेमन से चावल व दही रख देती हैं।
दादी-(जमुना दादी से) कम्बल किसके लिए लायी हो?
जमुना दादी- अरे!मैंने तो यह भी नहीं बताया कि मैं आई क्यों हूँ?
जामुन दादी बताती हैं कि वह लक्ष्मी का रिश्ता पक्का करने आई है। खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लगता इसलिए ये कम्बल ले लायी हूँ।
और फिर शाम को.......(बड़ी दादी सोकर उठीं) मीना को चाय बनाने के लिए आवाज़ लगाती हैं। मीना की माँ बताती हैं की मीना राजू और दोस्तों के साथ खेलने गयी हैं। चाय में बना देती हूँ।
बड़ी दादी - अरे खेलने! खेलने क्यों गयी। मैं जब मीना के जैसी थी तो माँ और दादी के साथ घर के कामों में हाथ बटाती थी।
मीना की माँ बड़ी दादी को समझाती हैं की वो ज़माना और था, अब की बात अलग है। मीना स्कूल जाती है,पढ़ती-लिखती है,खेलती-कूदती है। तभी तो जीवन में आगे बढेगी। कम के समय काम और खेल के समय खेल। बच्चे खेलेंगे नहीं तो उनके शरीर का विकास कैसे होगा?
और अगली शाम को सब लड़के वालों के यहाँ जाने को तैयार होते हैं चूँकि मीना की माँ सामान लेने बाज़ार गयी है। (जो बाद में पहुच जायेंगे ) के बगैर ही निकल जाते हैं।
थोड़ी ही दूर पहुंचे थे कि बड़ी दादी का पैर केले के छिलके पर पड़ने की वजह से गिर जातीं हैं और उनके पैर में चोट लग जाती है। मीना तुरंत ही बड़ी दादी का कम्बल उनके पैर पर लपेट देतीं हैं ताकि खून गर्म रहे और अधिक दर्द न हो। मीना तुरंत ही नर्स बहिन जी को बुलाकर लाती है। नर्स बहिन जी बड़ी दादी के पैर पर पट्टी कर देतीं हैं। ..उनका दर्द चला जाता है।
बड़ी दादी मीना की तारीफ़ करतीं हैं और मीना से अपने दुर्व्यवहार के लिए माफी भी मांगती हैं।
और फिर कुछ दिनों बाद लक्ष्मी की शादी में मीना ने बड़ी दादी के दिए हुए कपडे पहने।
आज का गीत-
हाल-चाल,हाल-चाल हाँ जी हाल-चाल,
मेरा हाल-चाल हाँ जी हाल चाल।
मैं चली मस्ती में आके बस्ता उठाके दौड़ लगाके
आयेंगे बाबा मेरे आज सबेरे स्कूल में मेरे
बात करेंगे टीचर से जानेंगे सब हाल
माँ बाबा को रहता मेरा ख्याल
पूंछेंगे सब मेरा हाल-चाल-२
हाल-चाल ..............................
आज का खेल- ‘दिमाग लगाओ शब्द बनाओ’
शब्द- ‘सितार’
स- सांप
मुहाबरा- सांप नेवले का बैर होना।
त- ताला
मुहाबरा- अक्ल पे ताला पड़ना
र- राग
मुहाबरा- अपनी ढपली अपना राग।
मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।
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