मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
63 - कहानी का शीर्षक-‘नई कहानी-काजल चली स्कूल’
मीना,सुमी दीपक और रोशनी के साथ अपने घर के बाहर उदास बैठी है।  (दादी आवाज़ देती हैं)
दादी सबकी उदासी का कारण पूंछती हैं।  सुमी के चाचा की ५ साल की बेटी है-झुमकी।  सुमी, झुमकी को रोज़ रात को एक कहानी सुनाती है।
अब मुश्किल है कि सुमी आज झुमकी को कौन सी कहानी सुनाये?
दादी नई कहानी बनाने की सलाह देतीं हैं।  दादी बताती हैं कि एक कड़ी से दूसरी कड़ी जोड़ते चलो बस, बन गयी नई कहानी........जैसे रेलगाड़ी के डिब्बे एक दूसरे से जुड़े होते हैं वैसे ही हर कहानी की घटनाएं एक दूसरे से जुडी होती हैं।
दादी- सुमी बेटी, आज तुम झुमकी को सुनाओगी वो कहानी जो आज हम सब अभी मिलकर बनाने वाले हैं।
दादी कहानी की शुरुआत करती हैं...सभी बच्चे उसमे कड़ी जोड़ते जाते है-
एक बार हुआ यूँ कि एक मछुआरा था गोपी।  गोपी की बीबी का नाम था गंगा।  उनके दो बच्चे हैं -बेटे का नाम अनिल और बेटी का नाम है काजल। (मीना कहानी आगे बडाती है) गोपी व गंगा अपने दोनों बच्चों अनिल और काजल के साथ नदी किनारे रहते थे।  गोपी मछलियाँ पकड़ता था और गंगा जाल बनाती थी।
दादी- अब तुम्हारी बारी दीपक।
दीपक- जी दादी! गोपी का बीटा अनिल स्कूल जाता था जबकि उसकी बहन काजल घर के कामों में अपनी माँ का हाथ बताती थी। और फिर एकक दिन....................
सुमी- नहीं दीपक! मैं झुमकी को ये कहानी नहीं सुना सकती ।
दीपक- क्या हुआ सुमी? मुझे कहानी बनाने से रोका क्यों?

सुमी- क्योंकि यह गलत है...मेरे बाबा और माँ कहती हैं कि बेटा और बेटी दोनों को स्कूल जाने का एक सामान अधिकार है।



दादी कहतीं हैं लड़कियों को स्कूल जाने का उतना ही अधिकार है जितना लडको का।  (सुमी कहानी आगे बड़ाती है)
सुमी- काजल स्कूल तो नहीं जाती थी लेकिन उसे पढ़ने का बहुत शौक था।  काजल बहुत होशियार थी। वो छुप-छुप कर अपने भाई अनिल के स्कूल की किताबें पढ़ती थी।  एक दिन अनिल ने काजल को गणित के कुछ सवाल हल करते हुए देखा,अनिल ये देखकर हैरान हुआ क्योंकि काजल ने सभी प्रश्न बिलकुल सही हल किये थे।  काजल ने अनिल से कहा कि, “अनिल भईया, मैं भी स्कूल जाना चाहती हूँ क्योंकि मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। ”
अनिल ने अपने पिताजी को सारी बात बताई।
(मीना पूंछती है) फिर क्या हुआ सुमी?.....गोपी काजल को स्कूल भेजने को तैयार हो गया।
सुमी- गोपी ने कहा-“नहीं-नहीं” अगर काजल को स्कूल भेजा तो उसकी किताबों और वर्दी का बहुत खर्चा करना पड़ेगा।
रोशनी- लेकिन सुमी, किताबें और वर्दी तो सरकार की तरफ से मुफ्त मिलती हैं।
दादी- शाबाश! रोशनी ,बिलकुल सही कहा तुमने।  अब आगे की कहानी तुम सुनाओ।

रोशनी- ठीक है दादी,अनिल ने गोपी की बात सुनकर कहा- ‘पिताजी आप खर्चे की चिंता मत कीजिये क्योंकि लड़किओं को किताबें और वर्दी तो सरकार की तरफ से मुफ्त मिलती हैं। ’

यह सुनकर गोपी ने कहा- अरे! बेटा अनिल, अगर काजल स्कूल जाने लगी तो घर के कामों में तुम्हारी माँ की मदद कौन करेगा?

अनिल ने झट से कहा-‘पिताजी, मैं करूँगा माँ और काजल की मदद। ’

गोपी ने कहा- काजल बेटी मैं तुम्हे एक महीने के लिए स्कूल भेज के देखूंगा अगर तुम और अनिल पढाई के साथ-साथ घर के काम कर पाए तो मुझे कोई एतराज नहीं।

फिर काजल और अनिल दोनों स्कूल में खेलने के साथ-साथ खूब पढाई भी करते थे और घर के काम में एक दूसरे की मदद भी करते।  ये देख कर कर गोपी बहुत खुश हुआ और उसने काजल को फिर कभी स्कूल जाने से नहीं रोका।

मीना ने कहानी का नाम सुझाया-‘ काजल चली स्कूल’

दादी- तुम क्या सोचने लगे दीपक?

दीपक बताता है कि कल रात बाबा माँ से कह रहे थे कि वो मेरी छोटी बहन मिली को स्कूल नहीं भेजा करेंगे।  लेकिन मैं अब घर जाकर बाबा को यही कहानी सुनाऊंगा ताकि उन्हें भी यह याद रहे कि लडके और लड़कियों को स्कूल जाने का एक सामान अधिकार है।



आज का गीत-

आज की लड़की रोके न रुक पाए
कोई डगर हो आगे बढ़ती जाए। -२
कभी कदम वो पीछे नहीं हटाये-२
पूरा करके वो दिखलाती जो भी दिल में ठाना है
लड़कियों का जमाना है ये लड़कियों का ज़माना है।
पूरा करके वो............................
तुम भी सुनलो मत रहना गलती में
अरे फर्क नहीं कुछ लड़के औए लड़की मे
ना ही अक्ल में कम ना कम शक्ति में-२
हमने तो बस आज से अब से ......
ये लड़कियों का ज़माना है-२

आज का खेल- ‘भेद खोलना है उसका जो बैठा है बीच में छुपकर’
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उत्तर- बागपत


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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