मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
65- आज की कहानी का शीर्षक-‘शादी का बंधन’

मीना, दीपू के साथ स्कूल जा रही है। दीपू के हाथ में खिचड़ी से भरी कटोरी है जो उसकी माँ ने रेखा दीदी(दीपू की मौसी की लड़की) के लिए भेजी है। अब रेखा दीदी ३-४ महीने गाँव में ही रहेंगी।
दीपू,मीना रेखा दीदी के घर खिचड़ी देने जाती है। दीपू सबका आपस में परिचय करवाता है। रेखा दीदी की बेटी मुन्नी रो रही है। मुन्नी बीमार है और कमजोर भी। तभी दीपू की माँ ने खिचड़ी भेजी है। दीपू रेखा दीदी से कहता है कि अभी स्कूल के लिए देरी हो रही है वो वापस आकर कटोरी ले लेगा।
बहिन जी बताती है कि दो हफ्ते बाद जिले के सभी स्कूलों के बीच संगीत की प्रतियोगिता होने वाली है,हर स्कूल से एक छात्र या छात्रा प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। उस प्रतियोगिता का नियम है- भाग लेने वाले टीचर और विद्यार्थी में से एक को गाना होगा, दूसरे को कोई साज देना होगा। कोई भी साज जैसे- हारमोनियम, ढोलक, बाँसुरी बगैरह।
मीना सुझाती है कि चमेली बांसुरी बहुत अच्छी बजाती है। ......लेकिन समस्या ये है कि गाना कौन गायेगा?

मीना, दीपू और चमेली स्कूल से घर लौट रहे थे तो ...........
पीछे से बहिन जी आवाज़ लगतीं हैं- दीपू,मीना,चमेली

मीना- बहिन जी, आप इस तरफ?
बहिन जी कहतीं हैं कि उन्हें नर्स बहिन जी से कुछ काम है। ...वो उनके साथ चल देतीं हैं। चमेली बहिन जी के कहने पर बांसुरी बजाती हुई चलती है।
( पार्श्व में, चंदा है तू,मेरा सूरज है तू.......की मधुर ध्वनि गूंजती है)
ये आवाज रेखा दीदी के घर से आ रही है। रेखा दीदी के घर......
दीपू- रेखा दीदी, ये हमारी बहिन जी हैं।
बहिन जी रेखा दीदी के गाने की तारीफ करती हैं।
रेखा दीदी, बहिन जी को बताती है कि मैं बचपन से ही गायिका बनना चाहती थी लेकिन मेरे माता-पिता ने १५ साल की उम्र में मेरी शादी करा दी और एक साल बाद ही मुन्नी पैदा हो गयी।
बहिन जी मुन्नी की उम्र पूंछती है....जिसकी उम्र अभी ८ माह है।
बहिन जी-यानी तुम अभी सिर्फ १७ साल की हो?
रेखा दीदी रोते हुए बताती है-मेरे पति शहर में काम करते हैं,३-४ महीने में ही घर आते हैं मैं बहुत ही अकेला महसूस करती हूँ। ना कोई बात करने वाल, ना कोई सहारा देने वाला। इसलिए यहाँ रहने आई हुयी हूँ।
बहिन जी रह दीदी से पूंछती हैं कि १८ साल से पहले लड़की की शादी करना कानूनी अपराध है, क्या तुम्हे या तुम्हारे माता-पिता को ये बात मालूम थी?
रेखा- नहीं बहिन जी,ना मुझे और ना ही मेरे माता-पिताजी को इस बात की जानकारी थी।
बहिन जी समझाती है कि छोटी उम्र में बच्चा होना माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है।
बहिन जी कहती हैं कि जब तक रेखा गाँव में है हमारे बच्चों को म्यूजिक सिखाएगी। बहिन जी रेखा को स्कूल में पढ़ाने का प्रस्ताव देती हैं और कहती है कि प्रिंसिपल साहिबा से तुम्हारे बारे में बात करुँगी।
बहिन जी ने प्रिंसिपल मैडम से बात कर कुछ दिन के लिए रेखा को म्यूजिक सिखाने का काम दिलवा दिया।
............और प्रतियोगिता के दिन
..........................बस प्यार ही प्यार चले।
’ और प्रतियोगिता रेखा, चमेली ने जीत ली।



आज का गीत-

सबसे हमको प्यार है प्यारे,बात कहें हम सच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
अरे बिना वजह क्यों सोचना क्यों करनी माथा-पच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
अरे बचपन नाम है खेलकूद का,बचपन है मस्ती भरा।
बचपन में जो करले,सब रह जायेगा धरा।
उमर है पढ़ने लिखने की,कुछ करके दिखलाने जी।
नहीं उमर ये शादी के बंधन में बांध जाने की।
गाँठ बाँध ले बात मेरी,हर बच्चा और बच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
शादी...कोई...खेल..नहीं..है.....
ये..है...जिम्मेदारी...करनी..पड़ती....है ...इसके...लिए...तैयारी........।
पहले हो जाओ तैयार तन से मन से धन से।
ताकि रहे न कोई तुम्हे शिकायत कभी जीवन से।
बात ये मेरी बड़ी जोरदार है नहीं समझाना कच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।


आज का खेल- ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’

१)
एक पाँव पर खड़ा हूँ,एक जगह में अड़ा हुआ हूँ।
सर पर मेरे बड़ा सा छाता,जो गर्मी से तुम्हे बचाता।

२)
मैं जीवन हूँ जीवन मुझसे,यही है मेरी कहानी।
इतना बड़ा हुआ हूँ खाके धुप मैं पिके पानी।

३)
ताजा हवा में देता उसको,पास जो मेरे है आया।
कभी मैं उसको देता फल,कभी मैं देता छाया।

- पेड़


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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