मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण

60- कहानी का शीर्षक- ‘बातचीत करने की कला’

गर्मियों की छुट्टियों के बाद आज स्कूल का पहला दिन था। मीना दीपू के साथ स्कूल से वापस लौट रही है। रास्ते में कृष्णा मिल जाता है जो छुट्टियाँ बिताने अपने चाचाजी के पास शहर गया हुआ था, बस ख़राब हो जाने के कारण देरी हो गयी और स्कूल नहीं आ सका। कृष्णा, मीना से पूछता है कि बहिन जी ने उसे उसकी (कृष्णा की) कोई चिठ्ठी तो नहीं दी। 

मीना- तुम्हारी चिठ्ठी! बहिन जी के पास, मैं समझी नहीं।
कृष्णा बताता है कि कोरा कागज की तरफ से कविताओं का मुकाबला होना है जिसमें वह भाग लेगा। चूँकि वह माँ,पिताजी के साथ शहर गया हुआ था तो उसने बहिन जी का पता दे दिया था। ....मीना ऐसी कोई चिठ्ठी के बारे में मना करती है। 

कृष्णा भागा-भागा स्कूल पहुँचा.......दीपू और उसके दोस्त खेल के मैदान में खेल रहे है। कृष्णा,दीपू से बहिन जी के बारे में पूंछता है (उसका ध्यान खेल में है) ...खेलते-खेलते कहता है की बहिन जी अपने कमरे में हैं..लेकिन उनसे मिलने कोई आया हुआ है। 

कृष्णा सोचता है की पता नहीं बहिन जी को कितना समय लगेगा....तो वह दीपू से कहता है की बहिन जी से पूंछना कि मेरी चिठ्टी तो नही आयी..और एक बात छुट्टियों से पहले मेरा पेन स्कूल में ही रह गया था ..तुमने कहीं देखा? 

दीपू खेलते-खेलते ही कृष्णा की सारी बात सुनता है और उसे यह कह कर भेज देता है कि वह बहिन जी से पूँछ लेगा। 


...और थोड़ी देर बाद
दीपू बहिन जी से पेन के बारे में पूंछता है।
बहिन जी- हाँ! एक पेन मिला तो है मुझे अभी..ये लो। 

दीपू बताता है कि कृष्णा कुछ और भी कह रहा था .....कि आपने कृष्णा को कोई चिठ्ठी लिखी थी?
बहिन जी- मैं भला कृष्णा को चिठ्ठी क्यों लिखूंगी दीपू?

दीपू पहुँचा कृष्णा के पास........
(पेन देते हुए)
कृष्णा- ये मेरा पेन नहीं है दीपू। मेरा पेन तो काले रंग का था स्याही वाला। 

कृष्णा चिठ्ठी के बारे में पूँछता है तो दीपू मन कर देता है ।
मीना,रीना और दीपू बातें करते हुए आ रहे हैं। वह पेन तो कृष्णा को उसे चाचा ने दिया था, उसको यह पेन बहुत प्यारा था। 

मीना, रीना और दीपू ने अपनी-अपनी गुल्लक से पैसे इकठ्ठे कर एक वैसा ही पेन लालाजी की दुकान से लाकर कृष्णा को लाकर दिया। 

कृष्णा उदास है ...वह बताता है कि वह पेन के खोने के कारण उदास नहीं है....वह तो उदास है कि कोरा कागज की तरफ से उसकी चिठ्ठी नही आई जिस कारण से वह अब प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकेगा। 

(तभी बहिन जी आ जाती हैं)
बहिन जी- कौन कहता है कृष्णा कि तुम्हारी कोई चिठ्ठी नहीं आई?

दीपू की बात से बहिन जी को सारा माजरा समझ आता है।
बहिन जी समझाती है कि बातचीत करना भी एक कला है। 

कृष्णा बताता है कि दीपू से बात करते समय वह उनके कमरे की तरफ देख रहा था....और दीपू कहता है कि उसका ध्यान खेल में था; बहिन जी कहती है कि स्पष्ट शब्दों में धीरे-धीरे करते और एक दूसरे की तरफ देखते रहते और ध्यान से एक दूसरे की बात सुनते तो यह सब गड़बड़ न होती। 

बहिन जी कोरा कागज से आई चिठ्ठी दिखाती हैं .....कृष्णा खुश हो जाता है।
...और कृष्णा वो मुकाबला जीत गया।



आज का गीत-
टिप-टिप बूँदें बारिश जरा सुनो
सन-सन-सन हवा चली जरा सुनो
कल-कल कहे नहीं जरा सुनो
छम-छम पायल बोली जरा सुनो -२
जब भी बोलो जब मुंह खोलो
सोच समझ कर शब्द चुनो
लेकिन पहले सामने वाले की
बातों को जरा सुनो-जरा सुनो।
जब कोई बोले गौर से सुनना
और सुनके दोहराना
सुनने में भी बड़ा मजा है
तुमभी सुनते जाना
लिखके रखलो बात ये मेरी
इसको भूल न जा।
कोई भी जो बोले
बीच में प्यारे कभी न टांग अडाना
कही सुनी जो बात ध्यान से याद न रख पाओगे
...............................................................
ऊपर-नीचे, दायें-बाएं देखकर शरमाओगे।
सोच समझ कर शब्द चुनो
लेकिन पहले सामने वाले की जरा सुनो
जरा सुनो-जरा सुनो । ।



आज का खेल- ‘दिमाग लगाओ शब्द बनाओ’

शब्द- परदा 

प- पानी (शर्म से पानी-पानी होना)
र- रंग (रंग उड़ जाना)
द- दाल (दाल न गलना)



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   

Post a Comment

 
Top