मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
56 - आज की कहानी का शीर्षक- ‘पढ़ना बहुत जरूरी’


जमाल की चचेरी बहन गुड्डी(जो साथ वाले गाँव में रहती है) की तीन दिन बाद शादी है। जमाल की माँ मीना,जमाल और जमाल की बहन शाहीन से शादी में मदद करने को पूँछ रहीं हैं। मीना कहती है की वह तारा दीदी से भी कहेगी कि वो हमारी मदद करे क्योंकि तारा दीदी सजावट की चीजें बना लेती है।
और अगले दिन........

तारा,मीना और जमाल ने घर में ऐसी सजावट की –ऐसी सजावट की कि सब देखकर हैरान रह गए। सबसे ज्यादा हैरान हुयी शाहीन। शाहीन मीना से पूंछती है कि तारा ने यह सब कहाँ से सीखा?

शाहीन- काश! अब्बू ने पांचवी के बाद मेरी पढाई न छुडवाई होती।

शाहीन की माँ शाहीन को दर्जी के पास भेजते हुए कहतीं हैं कि तेरे अब्बू के दो पजामे जिन्हें छोटा करना है तथा यह कमीज जिसमे बटन लगाने हैं, दर्जी चाचा को बता देना।

और अगले दिन ....

(शाहीन की माँ उसके अब्बू को सजावट दिखाते हुए)
अब्बू- अरे! वाह इतनी अच्छी सजावट किसने की।
शाहीन की माँ- मीना,तारा,शाहीन और अपने जमाल ने।
शाहीन के अब्बू- माशाल्लाह! माशाल्लाह!

मीना बताती है की कागज के फूल की सजावट तारा की है।
सभी मेहमान तारा, उसकी सजावट की तारीफ करते हैं।

थोड़ी देर बाद जब मीना,तारा और शाहीन जब मेहमानों को शरबत बाँट रहे थे तभी स्कूल की बहिन जी आ जाती हैं। वह सब बच्चों की लगन और सजावट की तारीफ करती हैं।

बिट्टू और टिंकू (जो शाहीन के चचेरे भाई हैं) आपस में छोटी कार को लेकर झगडा करने लगते हैं। शाहीन की माँ शाहीन को देखने भेजती हैं। ....तारा उनका झगडा बंद करवाने की तरकीब निकल कर उन्हें खेल में लगा देती है।


बहिन जी- शाबास तारा! बहुत बुद्धिमानी और चतुराई से तुमने बिट्टू और टिंकू को चुप कराया।


(दर्जी चाचा आवाज़ लगाते हैं)
दर्जी चाचा बताते हैं कि तुम्हारी शाहीन ने तो गड़बड़ कर ही दी थी......... कि पजामे में बटन लगाने हैं और कमीज को छोटा करना है। मैं यह पता करने आ ही रहा था तो रास्ते में तारा मिल गयी तब उसने बताया कि पजामे को छोटा करना है और कमीज में बटन लगाने है।

जमाल की माँ शाहीन को पास बुलाकर इसका कारण पूंछने लगती हैं।
बहिन जी- कसूर शाहीन का नहीं है।

बहिन जी समझाती हैं कि अगर आप उसे पांचवी कक्षा के बाद भी स्कूल भेजते तो वो बहुत सी जरूरी चीजें सीखती जैसे-सही परिस्थितियों में सही फैसले कर पाना,वक्त का सही इस्तेमाल करना,दूसरों की बातों को सही से समझाना,अपने और दूसरों के मन-मुटाव को दूर करना जैसे तारा ने किया।

शाहीन के अब्बू- बहिन जी ,क्या ये सब बातें भी स्कूल में सिखाई जाती हैं?
बहिन जी- जी भाई साहब, उच्च प्राथमिक स्कूल अर्थात ६-८ तक की पढाई के साथ-साथ यह सब भी सिखाते हैं।

शाहीन के अब्बू गुड्डी की शादी के बाद शाहीन का दाखिला स्कूल में करवा देते हैं।



आज का गीत-
जीवन में कुछ करना है हमको लिखना पढ़ना है।
अपनी मंजिल पानी है हमको आगे बढ़ाना है। ।
पढ़ना लिखना है आसान हर लड़की पढ़े।
राह सरल हो या मुश्किल हर लड़की बढे। ।
सच्चे दिल से मेहनत हर लड़की करे।
खुद से वादा करना है हमको आगे बदन है। ।
जीवन में कुछ...........................।
पूरा करना अपना काम चाहे जो भी हो
सफर में न करना आराम चाहे जो भी हो। ।
करेगी मंजिल तुम्हे सलाम चाहे जो भी हो।
हर मुश्किल से लड़ना है हमको आगे बढ़ाना है। ।
जीवन में कुछ......................। ।


आज का खेल- ‘दिमाग लगाओ शब्द बनाओ’
शब्द- कमर
क- कमल
मुहाबरा- कीचड में कमल खिलना
म- मिर्च
मुहाबरा- नमक मिर्च लगाकर बात बताना
र- रंग
मुहाबरा- रंग उड़ना(बहुत घबरा जाना)



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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