मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण
47- आज की कहानी का शीर्षक- ‘मुकाबला कुश्ती का’

पहलवान चाचा के घर की मरम्मत चल रही है।
(दरवाजा खटखटाया जाता है)

बंशी काका दूध लेकर आये हैं।  बंशी काका बताते हैं कि उन्होंने तबेला गाँव के दूर कोने से हटाकर, बीच गाँव में हैंडपंप के पास बना लिया है। 

(मीना, दीपू आते दिखाई देते हैं)
पहलवान काका- अरे! मीना....दीपू...तुम दोनो,इतने सुबह वो भी रविवार के दिन।
मीना, दीपू पहलवान चाचा को बधाई देते हैं क्योंकि आज उनका ‘कुश्ती का मुकाबला’ दूसरे गाँव के पहलवान गोपी के साथ जो है।  लेकिन पहलवान चाचा घर की मरम्मत में.......... मुकाबले की बात तो भूल ही गए और मुकाबला आधे घंटे में शुरू होने वाला है।  पहलवान चाचा मीना व दीपू से अखाड़े में खबर भिजवा देते हैं कि वह आधे घंटे में पहुँच जायेंगे।
(उधर रास्ते में..... )
मीना- दीपू, पहलवान चाचा कहीं हार तो नहीं जायेंगे ना? क्योंकि उन्होंने आज कसरत भी नहीं की।
और ठीक आधे घंटे बाद कुश्ती का मुकबला हुआ।  और वही हुआ जिसका मीना को डर था।  पहलवान चाचा हार गए।

गोपी पहलवान, पहलवान चाचा से हार की चुटकी लेता है।  इसपर पहलवान चाचा प्रतिज्ञा करते है की जब तक वह मुकाबला जीत नहीं जायेंगे तब तक पानी की एक बूँद भी नहीं पियेंगे।  सरपंच जी चिता व्यक्त करते हैं।
और उसी दिन पहलवान चाचा ने शाम की कुश्ती के लिए खूब अभ्यास किया,  और फिर शाम को कुश्ती का मुकाबला हुआ।  पहलवान चाचा मुकाबला जीत गए।
जीत के बाद पहलवान चाचा मीना से पानी मांगते हैं............फिर बात आती है तबेला हैंडपंप से पास बनाने की।  सरपंच जी बंशी काका को समझाते हैं कि जानवरों के मल में जो कीटाणु होते है पानी में मिलकर उसे गन्दा कर देते हैं क्योंकि पानी में कीटाणु फैल जाते हैं और बाद में हमें वही पानी हमें बीमार करता है। 

पहलवान चाचा भी सुबह बंशी काका से यही बात करना चाह रहे थे।  लेकिन जल्दी-जल्दी बात बीच में ही रह गयी।
बंशी काका – अब मैं क्या करूँ पहलवान जी?
पहलवान चाचा समझाते हैं कि पहले तो तबेला हैंडपंप से दूर बनाओ और जानवरों के मल को फैलने से रोको।

मीना बहिन जी की बात याद दिलाती है कि जानवरों के मल को गढ्ढे में डाल कर दबा देना चाहिए फिर गढ्ढा किसी चीज से ढक देना चाहिए।  जिससे पानी भी गन्दा नहीं होगा और बीमारियां भी नहीं फैलेंगी।

पहलवान चाचा मीना को दूध दिखाते हुए कहते है कि मैंने पानी ना पीने की प्रतिज्ञा ली थी....दूध तो मैं पी ही सकता हूँ।  (हा! हा! हा!)


आज का गीत-
‘ना सोना ना चांदी, ना हीरे मोती ।
असली दौलत प्यारे बस सेहत होती । ।

सुबह उठकर दौड़ लगाओ अच्छी-अच्छी चीजें खाओ।

साथ में मेरे मिलकर बोल..सेहत
अच्छी सेहत-सेहत-सेहत सेहत ....

आज का खेल- ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’
१) रंग है मेरा दूध के जैसा,स्वाद है मेरा खास।
अक्सर खाना खाते लोग मुझे रखते है पास। ।

२) जब भी बढा- चढ़ा के बातें कोई बताये।
बाते में वो मिर्च के साथ मुझे भी लगाये।

३) मिर्च सहेली है मेरी जो स्वाद में होती तीखी।
मुझे जो सब्जी में ना डाला तो वो लगती फीकी।

- नमक



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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