देश में शिक्षा प्रणाली के स्तर को बढ़ावा देने के लिए सभी की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। स्कूल और कॉलेज प्राधिकरणों को अपने छात्रों में शिक्षा के लिए रुचि और जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा के लिए कुछ मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित करना होगा। शुल्क फीस संरचना पर भी व्यापक स्तर पर चर्चा करनी चाहिए क्योंकि अधिक शुल्क के कारण बहुत से विद्यार्थी अपनी शिक्षा को जारी रखने में सक्षम नहीं होते जो लोगों को जीवन के हरेक पहलु में असमानता की ओर ले जाती है। शिक्षा मनुष्य का सबसे पहला और अनिवार्य अधिकार है इसलिए सभी को शिक्षा में समानता मिलनी चाहिए। हमें लोगों के बीच में समानता के साथ ही पूरे देश में समान वैयक्तिक विकास लाने के लिए हमें सभी के लिए शिक्षा की सुविधा में संतुलन बनाना होगा। शिक्षा समाज में सभी को अपने चारों ओर की वस्तुओं में हस्तक्षेप करके सकारात्मक रूप में बदलने में मदद करती है। यह हमें हमारे शरीर, मस्तिष्क और अन्तर्मन में संतुलन बनाए रखने के साथ ही शिक्षा की तकनीकी में आवश्यक उन्नति को भी बढ़ावा देती है। यह देशों के वृद्धि और विकास के लिए समाज में प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देती है। यह समाज में सामान्य संस्कृति और मूल्यों को विकसित करने के द्वारा सभी को सामाजिक और आर्थिक दोनों रूपों से सक्षम बनाती है।

स्पष्ट है कि शिक्षा और इसके महत्व से समाज का कोई भी पहलू अछूता नहीं है। यह प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तंत्र है जो व्यक्ति के जीवन के साथ ही देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल यह किसी भी समाज की नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गई है। शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा 5 साल से 15 साल तक की आयु वाले सभी बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षा सभी के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है और हमें जीवन की सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का सामना करना सिखाती है। समाज में सभी के लिए शिक्षा की ओर इतने बड़े स्तर पर जागरूक करने के बाद भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा का प्रतिशत अभी भी असमान है। 

 पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी शिक्षा के उचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास धन और अन्य साधनों की कमी है। यद्यपि इन क्षेत्रों में इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा कुछ नई और प्रभावी रणनीतियों की योजना बनाकर लागू किया गया है। शिक्षा ने मानसिक स्थिति को सुधारा है और लोगों के सोचने के तरीके को बदला है। यह आगे बढ़ने और सफलता और अनुभव प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास लाती है और सोच को कार्य रूप में बदलती है। बिना शिक्षा के जीवन लक्ष्य रहित और कठिन हो जाता है। इसलिए हमें शिक्षा के महत्व और दैनिक जीवन में इसकी आवश्यकता को समझना चाहिए। हमें पिछड़े क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व को बताकर इसे प्रोत्साहन देना चाहिए। विकलांग और गरीब व्यक्तियों को भी अमीर और सामान्य व्यक्तियों की तरह वैश्विक विकास प्राप्त करने के लिए शिक्षा की समान आवश्यकता है और उन्हें समान अधिकार भी प्राप्त है। हममें से सभी को उच्च स्तर पर शिक्षित होने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयासों को करने के साथ ही सभी की शिक्षा तक पहुंच को संभव बनाना चाहिए जिसमें सभी गरीब और विकलांग व्यक्ति वैश्विक आधार पर भाग ले सकें।

साभार :- डेली न्यूज नेटवर्क


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