शिक्षक संकुल की बैठकों को जीवंत बनाने के 10 टिप्स


शिक्षक संकुल की बैठकें शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होती हैं, जहां वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं, अपने विचारों को साझा कर सकते हैं, और शिक्षण-अध्यापन को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। हालांकि, कई बार शिक्षक संकुल की बैठकें बोझिल और नीरस हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैठकों का आयोजन और संचालन निर्देशात्मक तरीके से किया जाता है। इस तरह की बैठकों में शिक्षकों की भागीदारी कम होती है और वे उनसे सीखने और बढ़ने का अवसर नहीं पाते हैं।




शिक्षक संकुल की बैठकों को जीवंत और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित टिप्स मददगार हो सकते हैं:


1. बैठकों का उद्देश्य स्पष्ट करें।

सबसे पहले, बैठक का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। यह उद्देश्य शिक्षकों को यह समझने में मदद करेगा कि बैठक में उनसे क्या अपेक्षा है। उद्देश्य स्पष्ट होने से शिक्षक बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेंगे और बैठक से अधिक लाभान्वित होंगे।


2. बैठकों के लिए एक उपयुक्त वातावरण बनाएं।

बैठक का वातावरण ऐसा होना चाहिए जो शिक्षकों को सहज महसूस कराए। इसके लिए बैठक में पर्याप्त प्रकाश, ताजी हवा, और आरामदायक बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। बैठक में एक ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिसमें शिक्षक एक-दूसरे से खुलकर बात कर सकें और अपने विचारों को साझा कर सकें।


3. शिक्षकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करें।

बैठकों में शिक्षकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसके लिए बैठक में विभिन्न प्रकार के गतिविधियों और अभ्यासों का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, चर्चा, प्रश्नोत्तर, और समूह कार्य जैसी गतिविधियों से शिक्षकों को बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।


4. बैठकों को लचीला बनाएं।

बैठकों को लचीला बनाना जरूरी है। इसका मतलब है कि बैठकों में अचानक होने वाले परिवर्तनों के लिए तैयार रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई शिक्षक किसी विशेष विषय पर अधिक जानकारी देना चाहता है, तो बैठक में उस विषय पर चर्चा के लिए समय निकाला जा सकता है।


5. बैठकों को व्यवहार्य बनाएं।

बैठकों को व्यवहार्य बनाना जरूरी है। इसका मतलब है कि बैठकों का समय और विषय शिक्षकों की आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए। बैठकें बहुत लंबी या बहुत जटिल नहीं होनी चाहिए।


6. बैठकों के बाद कार्रवाई की योजना बनाएं।

बैठकों के बाद कार्रवाई की योजना बनाना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैठकों में चर्चा किए गए विषयों पर अमल किया जाए। कार्रवाई की योजना में यह तय किया जाना चाहिए कि कौन सा कार्य कौन करेगा और वह कार्य कब तक पूरा किया जाएगा।


7. बैठकों के लिए प्रतिक्रिया प्राप्त करें।

बैठकों के बाद शिक्षकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना जरूरी है। इससे यह पता चलेगा कि शिक्षक बैठकों से कितने संतुष्ट हैं और बैठकों में क्या सुधार किए जा सकते हैं। प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए बैठक के बाद शिक्षकों से एक सर्वेक्षण लिया जा सकता है या उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की जा सकती है।


8. शिक्षकों को प्रशिक्षण दें।

शिक्षक संकुल की बैठकों को जीवंत और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देना जरूरी है। प्रशिक्षण में शिक्षकों को बैठकों का आयोजन और संचालन करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाता है।


9. तकनीक का उपयोग करें।

तकनीक का उपयोग बैठकों को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, वीडियो, प्रस्तुतियाँ, और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करके शिक्षकों को बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।


10. नियमित रूप से बैठकें करें।

शिक्षक संकुल की बैठकें नियमित रूप से होनी चाहिए। इससे शिक्षकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिलता है। शिक्षक संकुल की बैठकें शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हैं।


इन टिप्स को ध्यान में रखते हुए, हम शिक्षक संकुल की बैठकों को एक ऐसे मंच में बदल सकते हैं, जहाँ शिक्षक उत्साह से भाग लें और उनसे कुछ सीखें।



✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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