हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक को हमारे देश में अत्यंत आदर और सम्मान दिया जाता है, लेकिन क्या आज हमारे बच्चे भी उन्हें वही आदर-सम्मान देते हैं? इस पर विचार करना होगा। 🤔


जिंदगी में शिक्षक की भूमिका अहम


सन 1888 में जन्मे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. स राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि, "शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन तूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है, जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।" 


किसी भी क्षेत्र में तरक्की पाने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है इंसान की जिंदगी में कामयाबी के पीछे सबसे अहम भूमिका माता- पिता के साथ शिक्षकों की भी होती है। शिक्षक हो अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा का प्रकाश भरता है। हर शिक्षक का यह स्वप्न होता है कि उसके पढ़ाए हुए विद्यार्थी जिंदगी में एक अच्छा मुकाम हासिल करें।


शिक्षकों को भगवान से बढ़कर माना जाता है, परंतु आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में कुछ बच्चे अपने शिक्षकों का आदर नहीं करते हैं, पीठ पीछे क्या उनके सामने भी उनका मजाक बनाने से चकते नहीं हैं। एक समय था, जब कोई शिक्षक शिक्षा संस्थान के अलावा कहाँ और सामने से आता हुआ दिख जाए तो विद्यार्थी अपना रास्ता बदल लेते थे, और नहीं तो उनसे नमस्कार जरूर करते थे, परंतु आज के विद्यार्थी चौड़ी छाती करके उनके आगे से निकल जाते हैं।


जो विद्यार्थी अपने शिक्षकों का आदर नहीं करते हैं उनसे दूसरों के आदर की क्या अपेक्षा की जा सकती है? ऐसे विद्यार्थी अपने गलत व्यवहार के कारण ही दूसरों के उपहास का पात्र भी बनते हैं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आधुनिक दौर में शिक्षा भी एक व्यापार बन गई है, यानी कि कुछ लोग अपने ज्ञान को बांटने के लिए बहुत मोटी रकम लेते हैं। जिस कारण कई गरीब बच्चे इससे अछूते रह जाते हैं। इसलिए जरूरी है हम इस व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास करें, अपने बच्चों को सभी का सम्मान करना सिखांए ताकि शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता आदर और सम्मान से भरा हो और साथ ही यह कोशिश भी की जाए की लोग इस रिश्ते को पैसों से न तोलें। 



✍️ लेखक : राजेश कुमार चौहान
                 जालंधर

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