पितृत्व अवकाश की मांग और उसके लिए आवश्यक तर्क 


भारत में, महिलाओं को मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण अधिकार है। यह महिलाओं को अपने बच्चे को जन्म देने और उसकी देखभाल करने के लिए आवश्यक समय देता है। हालांकि, पुरुषों को भी पितृत्व अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए।


पितृत्व अवकाश के कई फायदे हैं। 

सबसे पहले, यह पिता को अपने बच्चे के जन्म और विकास में भाग लेने का अवसर देता है। यह पिता और बच्चे के बीच बंधन को मजबूत करने में मदद करता है। 

दूसरा, यह पिता को अपने साथी की देखभाल करने में मदद करता है, जो अक्सर बच्चे के जन्म के बाद थकी और तनावग्रस्त महसूस करती है। 

तीसरा, यह लिंग समानता को बढ़ावा देता है। यह दर्शाता है कि पुरुषों को भी परिवार में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।


भारत में, पितृत्व अवकाश अभी भी एक नई अवधारणा है। केंद्र सरकार सरकारी कर्मचारियों को 15 दिनों का पितृत्व अवकाश प्रदान करती है, लेकिन राज्य सरकारों का रुख इस मामले में बहुत सकारात्मक नहीं है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी पितृत्व अवकाश देय नहीं है।


पितृत्व अवकाश को बढ़ावा देने के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

🔵 सभी कर्मचारियों के लिए पितृत्व अवकाश को कानूनी अधिकार बनाना चाहिए।

🔵 पितृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाना चाहिए।

🔵 पितृत्व अवकाश के दौरान वेतन प्रदान करना चाहिए।



पितृत्व अवकाश का महत्व:

🔴 एक पिता अपने बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल और देखभाल कर सकता है।

🔴 वह अपने साथी की देखभाल कर सकता है, जो अक्सर बच्चे के जन्म के बाद थकी और तनावग्रस्त महसूस करती है।

🔴 वह अपने बच्चे के साथ बंधन बना सकता है और उसे एक मजबूत पारिवारिक आधार प्रदान कर सकता है।



पितृत्व अवकाश और लिंग समानता:

पितृत्व अवकाश लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दर्शाता है कि पुरुषों को भी परिवार में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। जब पिता पितृत्व अवकाश लेते हैं, तो वे अपने साथी के साथ बच्चे की देखभाल और देखभाल में भाग लेते हैं। यह पुरुषों और महिलाओं के बीच काम और घर के बीच जिम्मेदारियों को अधिक समान रूप से विभाजित करने में मदद करता है।


पितृत्व अवकाश और लिंगभेद:

जो सरकारें पितृत्व अवकाश नहीं दे रहीं हैं, उसका कहीं न कहीं यह निष्कर्ष निकलता दिखाई देता है कि बच्चे का जन्म और उसका लालनपालन केवल महिला कार्मिक का ही दायित्व है। यह एक तरह का लिंगभेद ही है। यह दर्शाता है कि सरकारें पुरुषों को परिवार में एक सहायक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती हैं।


निष्कर्ष:

पितृत्व अवकाश एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार है जो पुरुषों को अपने परिवारों और बच्चों के साथ अधिक समय बिताने की अनुमति देता है। यह लिंग समानता को बढ़ावा देने और एक अधिक समतावादी समाज बनाने में भी मदद करता है। भारत सरकार को पितृत्व अवकाश को सभी कर्मचारियों के लिए एक कानूनी अधिकार बनाना चाहिए।



✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर

परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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