उच्च शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की पहल, युवा पीढ़ी के कौशल विकास से ही राष्ट्र विकास का मार्ग प्रशस्त होगा
भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के विस्तार और विकास की बहुत आवश्यकता एवं असीम संभावनाएं हैं। उच्च शिक्षा आयोग इस कमी को पूरी कर सकता है। इस आयोग के पास शैक्षणिक गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कराने तथा स्तरहीन और कागजी संस्थानों को बंद कराने की शक्ति भी होगी। हालांकि इस आयोग की सीमा यह है कि इस आयोग में विधि तथा चिकित्सा से जुड़े उच्च शिक्षण संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है। इसके साथ ही उपरोक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सरकार को उच्च शिक्षा तंत्र में भारी निवेश करने की भी आवश्यकता होगी।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन भी अनुसंधान की दशा एवं दिशा को बदलने की एक उल्लेखनीय पहल है। यह फाउंडेशन गणित, प्राकृतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और कृषि तथा मानविकी और सामाजिक विज्ञान की अंतर्क्रिया और अभिक्रिया को संभव करेगा। यह अनुसंधान, नवाचार एवं उद्यमिता के लिए रणनीतिक दिशा एवं आवश्यक संसाधन और ढांचागत सुविधाएं प्रदान करने वाला देश का सर्वोच्च निकाय होगा। आज यदि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा लहरा रहा है तो यह भारतीय विज्ञानियों की गंभीर अनुसंधान-वृत्ति का परिणाम है। भारत की प्राचीनतम अनुसंधान-वृत्ति का पुनराविष्कार, प्रोत्साहन इस फाउंडेशन के ध्येय हैं। संसाधनों की कमी और लालफीताशाही को समाप्त करके और अनुसंधान को समाज और उद्योग जगत से जोड़कर ही भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है।
✍️ लेखक : प्रो. रसाल सिंह
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज में प्रोफेसर हैं)
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