"काश शिक्षक भी कभी विद्यार्थी हो जाए?" यह एक दिलचस्प सवाल है। इसका जवाब कई तरह से दिया जा सकता है।


एक तरह से, यह एक कल्पना है कि शिक्षक भी एक बार विद्यार्थी थे। वे भी स्कूल गए, किताबें पढ़ीं, और परीक्षाएं दीं। वे भी उसी तरह सीखे और बढ़े जैसे कि उनके विद्यार्थी सीखते और बढ़ते हैं।


दूसरे तरह से, यह एक आशा है कि शिक्षक कभी-कभी अपने विद्यार्थियों के नजरिए से चीजों को देखें। वे समझने की कोशिश करें कि विद्यार्थियों के लिए सीखना कितना मुश्किल हो सकता है। वे विद्यार्थियों के साथ एक समान स्तर पर खड़े होकर उनका मार्गदर्शन करें।


तीसरे तरह से, यह एक चुनौती है कि शिक्षक अपने ज्ञान और कौशल को हमेशा अपडेट रखें। वे नए तरीकों से सीखें और बढ़ें। वे विद्यार्थियों को सबसे अच्छी शिक्षा देने के लिए हमेशा तत्पर रहें।


तो, काश शिक्षक भी कभी विद्यार्थी हो जाए? यह एक अच्छा सवाल है। इसका कोई एक सही जवाब नहीं है। लेकिन यह एक सवाल है जिस पर शिक्षकों को जरूर सोचना चाहिए।



यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं कि क्यों शिक्षकों को कभी-कभी विद्यार्थी होना चाहिए:


यह उन्हें अपने विद्यार्थियों की बेहतर समझ प्रदान कर सकता है। शिक्षकों को अक्सर अपने विद्यार्थियों के साथ एक समान स्तर पर खड़े होकर उनकी समस्याओं को समझने की आवश्यकता होती है। जब वे खुद विद्यार्थी होते हैं, तो वे अपने विद्यार्थियों के दृष्टिकोण से चीजों को देख सकते हैं।


यह उन्हें अपने ज्ञान और कौशल को अपडेट रखने में मदद कर सकता है। शिक्षकों को हमेशा नए ज्ञान और कौशल सीखने की आवश्यकता होती है। जब वे खुद विद्यार्थी होते हैं, तो वे नए विचारों और दृष्टिकोणों के संपर्क में आ सकते हैं।


यह उन्हें एक नए दृष्टिकोण से सीखने में मदद कर सकता है। शिक्षक अक्सर अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। लेकिन जब वे खुद विद्यार्थी होते हैं, तो वे एक नए दृष्टिकोण से सीखने का अवसर पा सकते हैं।



बेशक, शिक्षकों के लिए हमेशा विद्यार्थी होना संभव नहीं है। लेकिन वे अपने ज्ञान और कौशल को अपडेट रखने और अपने विद्यार्थियों की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए अन्य तरीकों से सीख सकते हैं। वे अपने क्षेत्र में नए शोध पढ़ सकते हैं, अन्य शिक्षकों से सीख सकते हैं, और अपने विद्यार्थियों के साथ बातचीत कर सकते हैं।


अंततः, शिक्षकों के लिए विद्यार्थी होना एक चुनौती और एक अवसर दोनों है। यह एक चुनौती है क्योंकि यह उन्हें अपने क्षेत्र में नए ज्ञान और कौशल सीखने के लिए मजबूर करती है। लेकिन यह एक अवसर भी है क्योंकि यह उन्हें अपने विद्यार्थियों की बेहतर समझ प्राप्त करने और उन्हें बेहतर शिक्षा प्रदान करने में मदद कर सकता है।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

Post a Comment

 
Top