जानिए!  शिक्षक पुरस्कारों के चयन पर क्यों है प्रधानाध्यापकों / इंचार्जों की बहुलता? 


शिक्षक एक समाज का आधार होते हैं। वे बच्चों को शिक्षित करके उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार करते हैं। शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए कई तरह के पुरस्कार दिए जाते हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य शिक्षकों को प्रेरित करना और उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित करना है।


भारत में, शिक्षक पुरस्कारों के लिए कई मानक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों में शैक्षिक योग्यता, शिक्षण कौशल, शैक्षिक उपलब्धियाँ, और सामाजिक कार्य आदि शामिल हैं। हालांकि, इन मानकों के आधार पर शिक्षकों का चयन करने पर कुछ समस्याएँ भी सामने आती हैं।


एक समस्या यह है कि इन मानकों में अक्सर अवस्थापना सुविधाओं पर अधिक जोर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक विद्यालय में यदि अच्छी कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ, और खेल के मैदान हैं, तो उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक या इंचार्ज को शिक्षक पुरस्कार मिलने की संभावना अधिक होती है। इससे यह धारणा बनती है कि विद्यालय की सफलता केवल अवस्थापना सुविधाओं पर निर्भर करती है, जबकि वास्तव में विद्यालय की सफलता में सभी शिक्षकों का योगदान होता है।


दूसरी समस्या यह है कि इन मानकों में अक्सर शिक्षण और शिक्षण तकनीकी को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक यदि अपने शिक्षण में नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर रहा है और छात्रों को उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान कर रहा है, तो भी उसे शिक्षक पुरस्कार मिलने की संभावना कम होती है। इससे यह धारणा बनती है कि शिक्षण कौशल और शिक्षण तकनीक शिक्षक पुरस्कारों के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।


इन समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षक पुरस्कारों के मानकों में कुछ बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। इन मानकों में शैक्षिक योग्यता, शिक्षण कौशल, शैक्षिक उपलब्धियाँ, और सामाजिक कार्य के साथ-साथ विद्यालय की समग्र सफलता में सभी शिक्षकों के योगदान को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए, पुरस्कारों के लिए चयन समितियों में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए।


यदि शिक्षक पुरस्कारों के मानकों में इन बदलावों को किया जाता है, तो इससे शिक्षकों को प्रेरित करने और उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि शिक्षक पुरस्कार सभी शिक्षकों के लिए समान अवसर प्रदान करें, चाहे वे प्रधानाध्यापक हों या सहायक शिक्षक।


यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनसे शिक्षक पुरस्कारों के मानकों में सुधार किया जा सकता है:


🔴 शिक्षण और शिक्षण तकनीकी को अधिक महत्व दें

शिक्षक पुरस्कारों के मानकों में शिक्षण कौशल और शिक्षण तकनीक को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक पुरस्कार केवल अवस्थापना सुविधाओं पर आधारित नहीं होंगे, बल्कि शिक्षण और शिक्षण तकनीक में उत्कृष्टता को भी प्रोत्साहित करेंगे।


🔴 विद्यालय की समग्र सफलता को ध्यान में रखें

शिक्षक पुरस्कारों के मानकों में विद्यालय की समग्र सफलता को ध्यान में रखना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक पुरस्कार सभी शिक्षकों के योगदान को मान्यता देते हैं, चाहे वे प्रधानाध्यापक हों या सहायक शिक्षक।


🔴 विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल करें। 

शिक्षक पुरस्कारों के लिए चयन समितियों में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक पुरस्कारों का चयन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाता है।


इन सुझावों को लागू करने से शिक्षक पुरस्कारों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक पुरस्कार सभी शिक्षकों के लिए समान अवसर प्रदान करें और उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित करें।



✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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