गैरशैक्षणिक कारणों से शिक्षकों का अधाधुंध निलंबन और सजा शिक्षा प्रणाली के लिए बन रहा हानिकारक 




शिक्षकों की भूमिका समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें जीवन के लिए तैयार करने का काम करते हैं। शिक्षकों को छात्रों के साथ एक आदर्श संबंध बनाने की आवश्यकता होती है, जो विश्वास और सम्मान पर आधारित हो। हाल के वर्षों में, शिक्षकों के लिए गैर शैक्षणिक कारणों से सजा का आचरण बढ़ रहा है। यह आचरण शिक्षकों के लिए असहनीय हो गया है और यह शिक्षा प्रणाली के लिए भी हानिकारक है।


गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के प्रकार:

शिक्षकों के लिए गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के कई प्रकार हैं। इनमें शामिल हैं:


सामाजिक मीडिया पर पोस्ट करना: शिक्षकों को अक्सर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए निलंबित किया जाता है, भले ही पोस्ट शिक्षा से संबंधित न हों।


व्यक्तिगत जीवन: शिक्षकों को अक्सर उनके व्यक्तिगत जीवन के आधार पर सजा दी जाती है, जैसे कि उनकी धार्मिक मान्यताओं या उनके राजनीतिक दर्शन के लिए।


आचरण: शिक्षकों को अक्सर उनके आचरण के आधार पर सजा दी जाती है, जैसे कि वे स्कूल के समय के बाहर क्या करते हैं।



गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के प्रभाव:

गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:


शिक्षकों के लिए दबाव: शिक्षकों को अक्सर ऐसा लगता है कि उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन को नियंत्रित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह दबाव उन्हें अपनी नौकरी से खुशी नहीं ले पाते हैं।


शिक्षकों का आत्मविश्वास कम होना: गैर शैक्षणिक कारणों से सजा से शिक्षकों का आत्मविश्वास कम हो सकता है। इससे वे छात्रों को शिक्षित करने में कम प्रभावी हो सकते हैं।


शिक्षकों का पलायन: गैर शैक्षणिक कारणों से सजा से शिक्षकों का पलायन बढ़ सकता है। इससे शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है।



शिक्षकों के लिए गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के लिए समाधान:

शिक्षकों के लिए गैर शैक्षणिक कारणों से सजा के लिए कई समाधान हैं। इनमें शामिल हैं:


शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा: शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों और नीतियों को लागू किया जाना चाहिए। इन कानूनों और नीतियों में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि शिक्षकों को उनके व्यक्तिगत जीवन के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती है।


शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण: शिक्षकों को यह समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में क्या सार्वजनिक रूप से पोस्ट कर सकते हैं। उन्हें यह भी समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि उन्हें स्कूल के समय के बाहर क्या करना चाहिए।


शिक्षकों के लिए समर्थन: शिक्षकों को यह महसूस करने के लिए समर्थन दिया जाना चाहिए कि वे अपनी नौकरी में सुरक्षित हैं। उन्हें यह भी महसूस करने के लिए समर्थन दिया जाना चाहिए कि वे अपने व्यक्तिगत जीवन में स्वतंत्र हैं।


यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक मुद्दों के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है:

🟣 शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट दिशानिर्देश विकसित करने चाहिए जो यह निर्धारित करें कि क्या गतिविधियां अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए योग्य हैं। इन दिशानिर्देशों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और छात्रों के हितों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।

🟣 शिक्षकों को इन दिशानिर्देशों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें यह समझने में मदद करने की आवश्यकता है कि क्या गतिविधियां अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए योग्य हैं।

🟣 शिक्षकों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एक निष्पक्ष प्रक्रिया प्रदान की जानी चाहिए। उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए कि वे अपनी गलतियों के लिए जवाब दें।


इन सुझावों का पालन करके, शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक मुद्दों के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के मुद्दे को अधिक न्यायसंगत और उचित तरीके से हल करने में मदद मिल सकती है।


शिक्षकों के लिए गैर शैक्षणिक कारणों से सजा का आचरण असहनीय है। यह शिक्षकों के लिए दबाव पैदा करता है, उनके आत्मविश्वास को कम करता है और उन्हें पलायन करने के लिए प्रेरित कर सकता है। शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों और नीतियों को लागू किया जाना चाहिए, शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें समर्थन दिया जाना चाहिए।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

Post a Comment

 
Top